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सर्दियों में अपनी त्वचा की देखभाल कैसे करें ?

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कविता

सब विक्रेता हैं |

आज एक अहसास आया मन में -सब कुछ न कुछ बेच रहे हैं |

जो असली है -वह दाम ले रहे है |

और बदले में सामान दे रहे हैं |

कोई कपडा, राशन, कास्मेटिक, और बहुत कुछ |

शायद इसकी कीमत तो लगाई जा सकती है |

पर इंसान के ज़ज़्बातो की कीमत कैसे लगाएं ?

माँ का रुदन, पत्नी की वेदना , बच्चे का रोना,

बाप की बापदा, और समय का चक्र -सब हो गया व्यर्थ |

कभी सोचती हूँ -क्या सही में सब विक्रेता हैं -अपने अहसासों को

बड़े प्यार से परोसते है -या रह गया है कुछ हृदय में बाकी -

जो आना है सामने और मेरे साथी |

स्वयं से पूछा, रह गया था कुछ सामान हृदय का उफान -

लेकिन पूछती हूँ क्या सही क्या गलत -

एक अहसास बस यही-और सही वक़्त |

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